09 November, 2020

8 टॉप हिंदी वेबसाइट इन इंडिया (Top Hindi site in India List)

 

इंग्लिश ब्लॉग की तरह हिंदी ब्लॉग या वेबसाइट भी पॉपलुलर हो रही है इस आर्टिकल में हम आपको बातएंगे टॉप हिंदी वेबसाइट इन इंडिया (Top Hindi site in India in Technology) या टॉप हिंदी ब्लॉग इन इंडिया (Top Hindi Tech blogs in India) जिन्हे आप विजिट कर नयी जानकारी हिन्दी में ले सकते है। गूगल ने भी अब हिंदी भाषा को अपने सर्च में स्थान दिया है जिससे हिंदी ब्लॉग के पॉपुलैरिटी / पहचान काफी बढ़ गयी है।

8 टॉप हिंदी वेबसाइट इन इंडिया (Top Hindi site in India List)

Top Hindi Site in India List 2020 & Top Hindi Blogger in India/Top Hindi Tech blogs in India

यही आपको popular category के Top Hindi Tech blogs in India के बारे में बताऊंगा . ये लगभग हर टॉपिक जैसेकि Blogging Tips Hindi , Hindi Teach article, All Type News, Hindi Motivation, and Hindi General knowledge, How to Mobile Tips, How to Online marketing tips, How Online money making पर बने है और आप इनसे बहुत कुछ नया सीख सकते हैं.

1) AnswerBB.com

AnswerBB – पूर्णता हिन्दी में बना एक नॉलेज शेयरिंग प्लेटफॉर्म या प्रश्न उत्तर बुलेटिन बोर्ड है जो आपको अपने मंच बनाने और अन्य लोगों से जुड़ने में मदद करता है।

2) Hindimehelp.com

HMH एक प्रसिद्ध Hindi teach ब्लॉग है. Rohit Mewada जी ने इस ब्लॉग को 2014 में शुरू किया था.

Global Rank: 36,639

India Rank: 2,706

3) HindiMe.net

इस लिस्ट में Hindime भी एक टेक ब्लॉग है. Chandan, Prabhanjan, और sabina ने इसे 2016 में शुरू किया था अब इसमें कुछ लोग काम भी करते है

Global Rank: 22,038

India Rank: 2,335

4) MyBigGuide.com

जून 2014 में बानी इस टेक्नोलॉजी ब्लॉग में आपको कुछ etool के बारे में , टेक टिप्स आदि के बारे में सीखने को मिलेगा.

Global Rank: 112,208

India Rank: 17,069

5) Computerhindinotes.com

Ashish Vishwakarma जी ने जून 2017 में इस ब्लॉग को स्टार्ट किया था. इस ब्लॉग पर कंप्यूटर के बारे में पोस्ट किया जाता है .

Global Rank: 87,483

Indian Rank: 11,811

6) Myhindi.org

Nilesh Verma जी ने अगस्त 2013 में इस वेबसाइट को बनाया था . नीलेश वर्मा इस ब्लॉग पर ऑनलाइन पैसे कमाना, सोशल मीडिया आदि की जानकारी प्रदान करते रहते है.

Global Rank: 236,057

Indian Rank: 27,257

7) Vikashplus

Nikhil Arora जी ने इस वेबसाइट को 2015 में शुरू किया था। इस ब्लॉग पर आपको वर्डप्रेस टिप्स, मोबाइल टिप्स, गूगल एडसेंसे आदि से सम्बंधित आर्टिकल्स हिंदी में मिल जायेंगे।

Global Rank: 582,055

India Rank: 79,999

8) Hindi Techy

Amit Saxena जी ने 2015 में इस हिंदी ब्लॉग की शुरआत की थी। इसमें वो कंप्यूटर के इनफार्मेशन, जॉब्स, माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल , विंडोज आदि से सम्बंधित आर्टिकल्स लिखते रहते है

Global Rank: 271,364

India Rank: 40,211

अगर इस लिस्ट में कोई टेक्नोलॉजी वेबसाइट या ब्लॉग रह गया हो तो कमेंट में जरूर बताये। इस लिस्ट को अपडेट कर दिया जायेगा।

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08 October, 2020

अमित शाह की जीवनी हिंदी में (Amit shah biography in hindi)

अमित शाह का जीवन परिचय-सक्रिय भारतीय राजनीति पर अमित शाह एक जाना -पहचाना नाम है । वह लगातार अपने पार्टी को मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं । अमित शाह का राजनीतिक सफर बहुत ही रोमांचक है । अमित शाह अपनी नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं । 

अमित शाह की जीवनी हिंदी में (Amit shah biography in hindi)
 

अमित शाह ने सक्रिय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी  (भाजपा) को देश की सबसे मजबूत पार्टी के रूप मे खडा कर दिया ।

चलिए इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको अमित शाह के जीवन के विषय में बताएंगे ।

  • अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 ई में हुआ था ।
  • यह वर्तमान में भारत के गृहमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं ।
  • वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर भी कार्य कर चुके हैं । अमित शाह जी ने कुशल नेतृत्व क्षमता और अपनी दूरगामी परिणाम के साथ भाजपा को भारत की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभारा ।
  • इनके बचपन का नाम –अमितभाई अनिल चन्द्र शाह था ।
  • इनकी जीवनसाथी का नाम- शोनल शाह हैं ।

2019 लोकसभा चुनाव में यह गांधीनगर से लोकसभा के सांसद के रूप में चुने गये ।इससे पहले वो राज्यसभा के सदस्य थे ।उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है। मेहसाणा में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए थे, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुयी। 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीतिक रुझान बना रहा ।

अमित शाह का राजनीतिक सफर-

अमित शाह भाजपा में 1987 में शामिल हुए । 1991मे इन्हे राजनीति पर पहला मौका मिला । दूसरा मौका इन्हें अटल बिहारी बाजपेई ने गुजरात से चुनाव लडने का मौका दिया । यह चार बार गुजरात के सरखेज विधानसभा से विधायक चुने गए ।

इन्हें कई आरोपों का सामना करना पडा । और जेल जाना पडा ।

अमित शाह इस समय एक कुशल नेतृत्व के धनी के रूप में भाजपा में शामिल हैं । उन्होंने धारा 370 को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

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17 November, 2018

किसान और हलवाई


एक किसान था, वह अपने खेतों में काम कर घर लौट रहा था। रास्ते में ही एक हलवाई की दुकान थी। उस दिन किसान ने कुछ ज्‍यादा काम कर लिया था और उसे भूख भी बहुत लग रही थी। ऐसे में जब वह हलवाई की दुकान के पास से गुजरा तो उसे मिठाइयों की खुशबू आने लगी। वह वहां खुद को रोके बिना नहीं रह पाया। लेकिन उस दिन उसके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, ऐसे में वह मिठाई खरीद नहीं सकता था, तब वह कुछ देर वहीं खड़े होकर मिठाइयों की सुगंध का आनंद लेने लगा।

जब मिठाईवाले ने किसान को मजे से उसकी दुकान की मिठाइयों की खूशबू का आनंद लेते देखा, तब उससे किसान की खुशी देखी नहीं गई, वह किसान के पास गया और बोला, पैसे निकालो। किसान हैरान हुआ और बोला कि मैंने तो मिठाई नहीं खरीदी और न ही चखी है फिर पैसे किस बात के? हलवाई बोला, भले ही तुमने मिठाई नहीं ली हो, लेकिन मेरी बनाई मिठाई की खुशबू का आनंद तो लिया है।

किसान बोला, मिठाई की खुशबू लेना मिठाई खाने के बराबर ही है तो तुम्हें अब इसके पैसे देने होंगे।

किसान पहले थोड़ा घबराया, लेकिन फिर थोड़ी सूझबूझ दिखाते हुए उसने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले और उन्‍हें दोनों हाथों के बीच में डालकर खनकाया। अब खनकाने के बाद किसान अपने रास्ते जाने लगा।

हलवाई बोला, मेरे पैसे तो दो! किसान ने कहा, जैसे मिठाई की खुशबू का आनंद लेने मिठाई खाने के बराबर ही है, वैसे ही सिक्कों की खनक सुनना भी पैसे लेने के बराबर ही है।

तो दोस्तों, कई बार आपको जीवन में इस हलवाई के जैसे लोग भी मिल जाएंगे, ऐसे में आप घबराएं नहीं। सूझबूझ से इन्हें जवाब दें और समस्या से इस किसान की तरह ही बाहर निकल जाएं।
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09 October, 2016

जाने श्री शनि देव के जन्म की ये अदभुत कहानी (Shani Dev Story in Hindi)

सूर्य और छाया के मिलन से तीन बच्चों का जन्म हुआ | सूर्य छाया दोनों एक दूसरे पर संतुष्ट थे, छाया ने जिन तीन बच्चों को जन्म दिया वे है - मनु ,शनि, पुत्री भद्रा
Shani Dev Birth Story in Hindi
हमारे जीवन में तेजपुंज तथा शक्तिशाली शनि का अदभुत महत्व है | वैसे शनि सौर जगत के नौ ग्रहों में से सातवांं ग्रह है; जिसे फलित ज्योतिष में अशुभ माना जाता है | आधुनिक खगोल शास्त्र के अनुसार शनि की धरती से दुरी लगभग नौ करोड मील है | इसका व्यास एक अरब बयालीस करोड साठ लाख किलोमीटर है तथा इसकी गुरुत्व शक्ति धरती से पंचानवे गुना अधिक है | शनि को सूरज की परिक्रमा करने पर उन्नीस वर्ष लगते है | अंतरिक्ष में शनि सधन नील आभा से खूबसूरत , बलवान , प्रभावी , दृष्टिगोचर है, जिसे 22 उपग्रह है |

शनि का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी से अधिकतम है | अत: जब हम कोई भी विचार मन में लाते है , योजना बनाते है, तो वह प्रत्सावित अच्छी - बुरी योजना चुंबकीय आकर्षन से शनि तक पहुँचती है और अच्छे का परिणाम अच्छा जब की बुरे का बुरा परिणाम जल्द दे देती है | बुरे प्रभाव को फलज्योतिष में अशुभ माना गया है | लेकिन अच्छे का परिणाम अच्छा होता है अत: हम शनि को शत्रु नहीं मित्र समझे और बुरे कर्मो के लिए वह साडेसाती है, आफत है ; शत्रु है |

श्री शनैश्वर देवस्थान के अनुुसार शनिदेव की जन्म गाथा या उत्पति के संदर्भ में अलग - अलग कथा है | सबसे अधिक प्रचलित शनि उत्पति की गाथा स्कंध पुराण के काशीखण्ड में इस प्रकार प्रस्तुत

सूर्यदेवता का ब्याह दक्ष कन्या संज्ञा के साथ हुआ | संज्ञा सूर्यदेवता का अत्याधिक तेज सह नहीं पाती थी | उन्हें लगता था की मुझे तपस्या करके अपने तेज को बढ़ाना होगा या तपोबल से सूर्य की अग्नि को कम करना होगा; लेकिन सूर्य के लिए वो पतिव्रता नारी थी | सूर्य के द्वारा संज्ञा के गर्भ से तीन संतानों का जन्म हुआ - . वैवस्वत मनु . यमराज . यमुना. संज्ञा बच्चों से बहुत प्यार करती थी; मगर सूर्य की तेजस्विता के कारण बहुत परेशान रहती थी | एक दिन संज्ञा ने सोचा कि सूर्य से अलग होकर मै अपने मायके जाकर घोर तपस्या करूंगी; और यदि विरोध हुआ तो कही दूर एकान्त में जाकर तप करना उचित रहेगा |

संज्ञा ने तपोबल से अपने ही जैसी दिखने वाली छाया को जन्म दिया, जिसका नाम ' सुवर्णा ' रखा अत: संज्ञा की छाया सुवर्णा | छाया को अपने बच्चोँ की जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा कि आज से तुम नारी धर्म मेरे स्थान पर निभाओगी और बच्चों कि परवरिश भी करोगी | अगर कोई आपत्ति आ जाये तो मुझे बुला लेना मै दौडी चली आऊँगी, मगर एक बात याद रखना कि तुम छाया हो संज्ञा नहीं यह भेद कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए |

संज्ञा छाया को अपनी जिम्मेदारी सौपकर अपने पीहर - मायके चली गयी | घर पहुँचकर पिताश्री को बताया कि मै सूर्य का तेज सहन नहीं कर सकती, अत: तप करने अपने पति से बिना कुछ कहे मायके आयी हूँ | सुनकर पिताने संज्ञा को बहुत डाटा कहा कि , ' बिन बुलाये बेटी यदि मायके में आए तो पिता व पुत्री को दोष लगता है | बेटी तुम जल्द अपने ससुराल सूर्य के पास लौट जाओ ' ,तब संज्ञा सोचने लगी कि यदि मै वापस लौटकर गई तो छाया को मैंने जो कार्यभार सौंपा है उसका क्या होगा ? छाया कहाँ जायेगी ? सोचकर संज्ञा ने भीषण , घनघोर जंगल में , ( जो उत्तर कुरुक्षेत्र में था ) शरण ले ली |

अपनी खुबसूरती तथा यौवन को लेकर उसे जंगल में डर था अत: उसने बडवा - घोडी का रूप बना लिया कि कोई उसे पहचान न सके और तप करने लगी | धर सूर्य और छाया के मिलन से तीन बच्चों का जन्म हुआ | सूर्य छाया दोनों एक दूसरे पर संतुष्ट थे, सूर्य को कभी संदेह नहीं हुआ | छाया ने जिन तीन बच्चों को जन्म दिया वे है - . मनु .शनिदेव . पुत्री भद्रा ( तपती )

दूसरी कथा के अनुसार शनिदेव कि उत्पति महर्षि कश्यप के अभिभावकत्व में कश्यप यज्ञ से हुई | जब शनिदेव छाया के गर्भ में थे तो शिव भक्तिनी छाया ने शिव कि इतनी तपस्या की कि उन्हें अपने खाने - पीने तक का ख्याल नहीं रहता था | अपने को इतना तपाया की गर्भ के बच्चे पर भी तप का परिणाम हुआ , और छाया के भूखे प्यासे धुप-गर्मी में तपन से गर्भ में ही शनि का रंग काला हो गया | जब शनि का जन्म हुआ तो सूर्यदेव शनि को काले रंग का देखकर हैरान हो गए | उन्हें छाया पर शक हुआ | उन्होंने छाया का अपमान कर डाला , कहा कि 'यह मेरा बेटा नहीं है |'

श्री शनिदेव के अन्दर जन्म से माँ कि तपस्या शक्ति का बल था; उन्होंने देखा कि मेरे पिता , माँ का अपमान कर रहे है | उन्होने क्रूर दृष्टी से अपने पिता को देखा , तो पिता कि पूरी देह का रंग कालासा हो गया | घोडों की चाल रुक गयी | रथ आगे नहीं चल सका | सूर्यदेव परेशान होकर शिवजी को पुकारने लगे | शिवजी ने सूर्यदेव को सलाह बताई और कथन किया की आपके द्वारा नारी व पुत्र दोनों की बेज्जती हुई है इसलिए यह दोष लगा है | सूर्यदेव ने अपनी गलती की क्षमा मांगी और पुनश्च सुन्दर रूप एवं घोडों की गति प्राप्त की | तब से श्री शनिदेव पिता के विद्रोही और शिवाजी के भक्त तथा माता के प्रिय हो गए |

हमारे जीवन में जन्म से लेकर , मृत्यु तक शनिदेव का प्रभुत्व है | जन्मते ही जातक के परिवार वालों की अभिलाषा होती है की हमारी राशि में या जन्म लेने वाले बच्चे की राशि में शनि कैसा है ? कौन से पाये पर बच्चे का जन्म हुआ है | प्रस्तुत पाये की पहचान की शनि के अच्छे - बुरे होने की पहचान जन्म से बतलाता है | अपने शरीर में लौह तत्व है , उस आयरन तत्व का स्वामी शनि है | शनि के कमजोर होने से , शनि के प्रकोप , शनि पीड़ा से वह आयरन तत्व शरीर में कम हो जाता है | आयरन की कमी से तमाम प्रकार की शारीरिक व्याधियों व्यक्ति को कमजोर करती है | आयरन है शरीर में तो बल है | आयरन के बिना शरीर की उर्जा समाप्त हो जाती है | शनि जिनका प्रबल है , उन्हें आयरन की हैरानी कभी नहीं होती है |
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जानिये क्या है कहानी हनुमान जी के पंचमुखी बालाजी बनने की (Panchmukhi Hanuman in Hindi)

सीता माँ को पाने हेतु राम और रावण की सेना के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था (Panchmukhi Hanuman in Hindi) | रावण की पराजय निकट ही थी | तब रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया जो माँ भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का का बड़ा ज्ञाता था | उसने अपनी माया से युद्ध में समस्त सेना को निद्रा में डाल दिया और श्री राम और लश्मन का अपहरण कर उन्हें पातळ लोक में बलि के लिए ले आया |
हनुमानजी का पंचमुखी (Panchmukhi Hanuman in Hindi) रूप कुछ घंटे बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिसन्न ने यह पहचान लिया की यह कार्य अहिरावन का है और उसने हनुमान को श्री राम और लश्मन की सहायता करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा | पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में उसे हराने के बाद बंदक श्री राम और लश्मन से मिले |

वहा पांच दीपक पांच दिशाओ में मिले जो माँ भवानी के लिए अहिरावन में जलाये थे | इन पांचो दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जायेगा इसी कारण वश हनुमान जी पञ्च मुखी रूप धरा | उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिम्ह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इन पांच मुखों को धारण कर उन्होंने एक साथ सारे दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया | और फिर राम और लश्मन को मुक्त करवाया |

क्या विष्णु कृपा से भी मिला हनुमान जी को पंचमुखी बालाजी का रूप


एक अन्य कथा के अनुसार विष्णु भगवान की कृपा से धरा था हनुमानजी ने पंचमुखी रूप :
इस कथा के अनुसार मरियल नाम का दानव एक बार विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र चुरा ले जाता है | हनुमानजी को जब यह पता चलता है तो वो संकल्प लेते है की वो पुनः चक्र प्राप्त कर के भगवान् विष्णु को सौफ देंगे | मरियल दानव इच्छाअनुसार रूप बदलने में माहिर था अत: विष्णु भगवान हनुमानजी को आशीर्वाद दिया, साथ ही इच्छानुसार वायुगमन की शक्ति के साथ गरुड़-मुख, भय उत्पन्न करने वाला नरसिम्ह-मुख तथा हयग्रीव एवं वराह मुख प्रदान किया। पार्वती जी ने उन्हें कमल पुष्प एवं यम-धर्मराज ने उन्हें पाश नामक अस्त्र प्रदान किया। यह आशीर्वाद एवं इन सबकी शक्तियों के साथ हनुमान जी मायिल पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे। तभी से उनके इस पंचमुखी स्वरूप को भी मान्यता प्राप्त हुई।

इन पाँचो रूप और उनकी महिमा :

नरसिम्ह मुख की सहायता से शत्रु पर विजय मिलती है

गुरुड़ मुख की सहायता से सभी दोषों पर विजय पाई जाती है

वराहमुख की सहायता से समस्त प्रकार की समृद्धि एवं संपत्ति को पाया जा सकता है

हयग्रीव मुख की सहायता से ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है ।
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क्यों शनि देव को हनुमान के चरणों में महिला रूप धर के बैठना पड़ा (Hanuman and Shani Dev Story in Hindi)

हनुमानजी के प्रसिद्ध मंदिरों में एक मंदिर कष्टभंजन हनुमान मंदिर है (Hanuman and Shani Dev Story in Hindi) | यह मंदिर गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में है | इस मंदिर में हनुमान जी चरणों में शनिदेव जी स्त्री रूप धारण करके बैठे हुए है | आइये जाने ऐसा क्या हुआ की शनि देव जो की हनुमान के चरणों में इस तरह महिला रूप धर के बैठना पड़ा (Hanuman and Shani Dev Story in Hindi)|
Hanuman and Shani Dev Story in Hindi
कष्टभंजन हनुमान मंदिर शनिदेव का स्त्री रूप शास्त्रों में प्रसंग के अनुसार एक समय शनिदेवजी का प्रकोप बहूत बढ़ गया था और मनुष्यों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | उनमे से बहूत सारे हनुमानजी के परम भक्त थे | उन्होंने हनुमानजी से विनती करी की उन्हें शनिदेव के प्रकोप से बचाए |

हम सभी जानते है हनुमानजी अपने भक्तो के लिए सदैव दुःखभंजन संकट मोचक रहे है | अपने भक्तो की शनिदेव के कारण ऐसी दशा देख कर उनसे रहा नहीं गया और क्रोधित होकर शनि देव के पास युद्ध करने चले गये | शनिदेव को जब यह पता चला की हनुमानजी उनसे उनके कर्मो का बदला लेने आ रहे है तो अपने बचाव के लिए उन्हें सिर्फ एक ही युक्ति नजर आई |

शनिदेव अच्छी तरह यह जानते थे की हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी है और शरणागत स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठा सकते | बस फिर क्या था | जैसे ही हनुमान शनि देव के पास आये , उन्होंने महिला रूप धारण करके उनके चरणों में लिपट कर क्षमा मांगी और अपना प्रकोप बालाजी भक्तो से हटाने का वादा किया |

तभी से कहा जाता है की हनुमानजी के परम भक्तो पर शनिदेव का प्रकोप नही रहता | इस कष्टभंजन हनुमान मंदिर में बहूत सारे भक्त अपने कष्ट मिटाने आते है |
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हनुमान जी के 7 सिद्ध चमत्कारी मंत्र जो लायेंगे आपके जिंदगी में बहार (Hanuman in Hindi)

श्री राम के परम भक्त हनुमान जी (Hanuman in Hindi) महाराज आठ चिरंजीवियो में से एक है जो अनंत काल से अपने भक्तो के आस पास ही रहते है और उनसे खुश होकर उनकी मनोकामनाओ को पूर्ण करते है | हनुमान जी जल्द ही प्रसन्न होने वाले देवताओ में से एक है और इसके लिए कुछ चमत्कारी (Hanuman in Hindi) मंत्र यहा बताये जा रहे है | इन मंत्रो की सही विधि जान कर आप इनका जाप करे जिससे की बालाजी प्रसन्न होकर आप पर कृपा बरसाए |

हनुमान जी के सिद्ध चमत्कारी मंत्र- हनुमानजी के शक्तिशाली मंत्र जो लायेंगे आपके जिंदगी में बहार

1. भय नाश करने के लिए हनुमान मंत्र : हं हनुमंते नम:

2. प्रेत भुत बाधा दूर करने के लिए मंत्र : हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:। अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।

3. द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र : ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।

4. मनोकामना पूर्ण करवाने के लिए मानता : महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।

5. शत्रुओ और रोगों पर विजय पाने के लिए : ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा

6. संकट दूर करने का हनुमान मंत्र : ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा

7. कर्ज से मुक्ति के लिए मंत्र  : ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
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क्यों शनिदेव जी के ऊपर शनिवार को तेल चढ़ाया जाता है? (Shani Devi in Hindi)

क्यों शनिदेव जी (Shani Devi in Hindi)के ऊपर शनिवार को तेल चढ़ाया जाता है?

एक बार महावीर हनुमान श्री राम के किसी कार्य में व्यस्त थे | उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे की रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पड़े | अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विध्न डालने हनुमान जी के पास पहुच गये |श्री हनुमान शनि देव रिश्ता हनुमानजी शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऐसा करने से रोका पर शनिदेव जी नहीं माने | हनुमानजी ने तब शनिदेव जी को अपनी पूंछ से जकड लिया और फिर से राम कार्य करने लगे | कार्य के दौरान वे इधर उधर खुद के कार्य कर रहे थे | इस दौरान शनिदेवजी को बहूत सारी छोटे आई | शनिदेव ने बहूत प्रयास किया पर बालाजी की कैद से खुद को छुड़ा नहीं पाए | उन्होंने हनुमंते से बहूत विनती की पर हनुमानजी कार्य में खोये हुए थे |
जब राम कार्य ख़त्म हुआ तब उन्हें शनिदेवजी का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को आजाद किया | शनिदेव जी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमानजी से माफ़ी मांगी की वे कभी भी राम और हनुमान जी के कार्यो में कोई विध्न नहीं डालेंगे | और श्री राम और हनुमान जी के भक्तो को उनका विशेष आशीष प्राप्त होगा |

शनिदेव जी भगवान श्री हनुमान से कुछ सरसों का तेल माँगा जिसे वो अपने घावो पर लगा सके और जल्द ही चोटो से उभर सके | हनुमानजी ने उन्हें वो तेल उपलब्द करवाया और इस तरह शनिदेव के जख्म ठीक हुए |

तब शनिदेव जी ने कहा की इस याद में जो भी भक्त शनिवार के दिन मुझपर सरसों का तेल चदायेगा उसे मेरा विशेष आशीष प्राप्त होगा |
हनुमानजी और शनि देव जी का रिश्ता - हनुमानजी ने शनिदेव को रावण की जेल से मुक्त करवाया :

एक कथा के अनुसार अहंकारी लंकापति रावण ने शनिदेव जो को कैद कर लिया और उन्हें लंका में एक जेल में डाल दिया | जब तक हनुमानजी लंका नहीं पहुचे तब तक शनिदेव उसी जेल में कैद रहे |

जब हनुमान सीता मैया की खोज में लंका में आये तब माँ जानकी को खोजते खोजते उन्हें भगवान् शनि देव जेल में कैद मिले | हनुमानजी ने तब शनि भगवान को आजाद करवाया | आजादी के बाद उन्होंने हनुमंते का धन्वाद किया और उनके भक्तो पर विशेष कृपा बनाये रखने का वचन दिया |
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04 October, 2016

बहुत सुंदर पोस्ट है कृपया पूरा जरूर पढ़ें ( Amazing Motivational Story in Hindi)

बहुत सुंदर पोस्ट है कृपया पूरा जरूर पढ़ें ( Amazing Motivational Story in Hindi)

बहुत सुंदर पोस्ट है कृपया पूरा जरूर पढ़ें ( Amazing Motivational Story in Hindi)
एक चोर था जो हमेशा चोरी करता था उसका एक लड़का था जो पढ़ता था और काफी होशियार था,☺☺

पढ़ाई, पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश करने के लिए निकला, बहुत कोशिश करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो थककर घर मे बैठ गया, ☺☺

पिताजी ने कहा बेटा नौकरी नहीं मिली तो क्या हुआ,चल मेरे साथ मेरे काम मे हाथ बटा,बेटा चल
दिया और शाम होते-होते एक शहर मे पहुँच गये।

शहर के अन्दर प्रवेश किया तो पिताजी ने अपने पुत्र से कहा देख बेटा सामने जो लाईट जल रही है।☺☺

उस कोठी से मैंने कई बार चोरी कर लाया और अच्छा माल हाथ लगा। चल आज उसी कोठी मे
डाका डालते हैं।☺☺

पिताजी की बात सुनकर पुत्र एकटक उसी इमारत के ऊपर जल रहे बल्ब को देख रहा था।☺☺

पिताजी ने कहा क्या सोच रहा है? जल्दी तैयार हो जा।।☺☺

बेटा बोला – नहीं पिताजी! मैं चोरी नहीं करुँगा।,
पिताजी ने कहा – क्यों?
बेटा बोला – जिसके यहाँ से चोरी करके ले गये उसके घर मे आज भी रोशनी है और हमारे घर मे
आज भी अंधकार है इसलिए मै अपने घर में मेहनत
की कमाई से अंधकार को दूर कर दीपक जलाऊँगा !!

हम प्रभु श्रीराम के भक्त है और हमें मेहनत की कमाई से खाना ज्यादा पसंद है ।। ☺☺

�जय जय श्री राम👏
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29 September, 2016

जानिए क्यों हनुमान जी ने भीम को दिए अपने शरीर के तीन बाल ?महाभारत पौराणिक कथा

जानिए क्यों हनुमान जी ने भीम को दिए अपने शरीर के तीन बाल ?महाभारत पौराणिक कथा

पांडवों ने श्री कृष्ण की मदद से कौरवों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अब हस्तिनापुर का राज्य पांडवों के अधीन था। धर्मराज युधिष्ठर राजा बने थे। न्याय और धर्म की प्रतिमूर्ति महाराज युधिष्ठर के राज्य में सब कुशल मंगल था।

समस्त हस्तिनापुर आनंदमयी जीवन व्यतीत कर रहा था। कहीं कोई किसी प्रकार का दुःख ना था।
एक दिन नारद मुनि राजा युधिष्ठर के पास आये और कहा कि महाराज आप यहाँ वैभवशाली जीवन जी रहे हैं लेकिन वहां स्वर्ग में आपके पिता बड़े ही दुखी हैं। युधिष्ठर ने नारद मुनि से पिता के दुखी होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पाण्डु का सपना था कि वो राज्य में एक राजसूर्य यज्ञ करायें लेकिन वो अपने जीवन काल में नहीं करा पाए बस इसी बात से दुःखी हैं।

तब युधिष्ठर ने अपने पिता की शांति के लिए राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। इस यज्ञ में वो ऋषि पुरुष मृगा को बुलाना चाहते थे। ऋषि पुरुष मृगा भगवान शिव के परम भक्त थे, उनका ऊपर का हिस्सा पुरुष का था और नीचे का हिस्सा मृगा (हिरन) का, इसलिए उनका नाम पुरुष मृगा था।

युधिष्ठर ने अपने छोटे भाई भीम को आज्ञा दी कि वह ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढ कर लाएं ताकि यज्ञ संपन्न हो सके। भीम भाई की आज्ञा पाकर ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढने चल दिए।

एक जंगल से गुजरते हुए भीम को पवन पुत्र हनुमान दिखाई दिए। चूँकि भीम भी पवन (वायु) के पुत्र थे तो इस नाते हनुमान और भीम दोनों भाई हुए। हनुमान जी ने अपने छोटे भाई भीम को अपने शरीर के तीन बाल दिए और कहा ये बाल तुमको मुसीबत से बचाने में मदद करेंगे।

काफी दूर भटकने के बाद भीम ने आखिर ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढ ही लिया वो उस समय भगवान शिव का ध्यान लगाए बैठे थे। भीम ने जब उन्हें राजसूर्य यज्ञ में चलने की बात कही तो वो तैयार हो गए लेकिन उन्होंने भीम में सामने एक शर्त रखी।

शर्त यह थी कि भीम को हस्तिनापुर ऋषि पुरुष मृगा से पहले पहुँचना था। अगर पुरुष मृगा भीम से पहले हस्तिनापुर पहुँच गए तो वे भीम को खा जायेंगे। अब चूँकि ऋषि पुरुष मृगा का निचला हिस्सा हिरन का था तो वे बहुत तेज दौड़ते थे।

भीम ने साहस करके उनकी यह शर्त स्वीकार कर ली। भीम ने तुरंत तेजी से हस्तिनापुर की ओर दौड़ना शुरू कर दिया। भीम ने अचानक पीछे मुड़कर देखा तो पाया ऋषि पुरुष मृगा उनके बिलकुल नजदीक आ चुके हैं। घबराये हुए भीम को अचानक हनुमान जी द्वारा दिए हुए तीन बालों की याद आयी।

भीम ने एक बाल जमीन पर फेंक दिया। तुरंत उस बाल की शक्ति से बहुत सारे शिवलिंग जमीन पर उत्पन्न हो गए। ऋषि पुरुष मृगा भगवान शिव के भक्त थे इसलिए अब वो हर शिवलिंग को पूजते हुए आगे बढ़ रहे थे जिससे उनकी चाल धीमी पड़ गयी।

अब थोड़ी देर बाद भीम ने फिर दूसरा बाल फेंका तो फिर से बहुत सारे शिवलिंग उत्पन्न हो गए। इसी तरह भीम ने ऋषि पुरुष मृगा को पीछे रखने के लिए एक एक कर तीनों बाल फेंक दिए लेकिन जैसे ही भीम महल में घुसने ही वाले थे तभी पुरुष मृगा ने उनके पाँव पीछे से खींच लिए और भीम के पाँव महल से बाहर ही रह गए।
अब पुरुष मृगा भीम को खाने के लिए जैसे ही आगे बढे तुरंत वहाँ राजा युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण आ गए। तब ऋषि पुरुष मृगा ने युधिष्ठर ने कहा कि अब आप ही न्याय करें।

राजा युधिष्ठर ने अपना फैसला सुनाया कि भीम के पाँव ही महल से बाहर रहे थे इसलिए आप भीम के सिर्फ पैर खा सकते हैं। युधिष्ठर के इस न्याय से पुरुष मृगा बेहद खुश हुए और उन्होंने भीम को जीवन दान दिया। फिर मगलपूर्वक राजसूर्य यज्ञ संपन्न हुआ और ऋषि पुरुष मृगा सबको आशीर्वाद देकर फिर से अपने रास्ते पर निकल पड़े।
समाप्त!!
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25 September, 2016

जो माँ बाप कि सेवा करता है भगवान उसकी हर मुशकिल कैसे हल करता है पढ़े और जाने

एक लडका हर रोज शाम को मन्दिर जाया करता था। एक दिन उसे मन्दिर मेँ एक लडकी मिली जिसे वो पसन्द करने लगा...!

कुछ दिन बाद लडके को पता चला की वो लडकी किसी दुसरे शहर से आई है...! और वो उसके घर के पास ही रहती है,, वो उस लडकी के घर के आस पास ही घुमता रहता और लडकी को देखता रहता..!


वो लडकी भी हर रोज मन्दिर जाने लग गयी, ऐसे ही वो दोनो आपस मे अच्छे दोस्त बन गये...!

कुछ दिनो बाद लडके ने लडकी को प्रपोज करने का सोचा, लडके ने लडकी को प्रपोज किया और उसका हाथ पकड कर उसे रिगँ पहना दी,


और लडकी को कहा कि मै तुम्हे बहुत प्यार करता हुँ, और तुम्हारे लिये जान भी दे सकता हुँ,, ये सुनते ही लडकी ने वो रिगँ उतार कर वहाँ पास से गुजरती हुई नहर मेँ गिरा दी..! और लडके को को कहा :- कि तुम तो जान भी दे सकते

हाँ ???

तो जाऔ और ये रिगँ निकाल कर ले आओ..!!

लडका रिगँ निकालने के लिये नहर मेँ कुद जाता है लेकीन उसे रिगँ ना मिली,


लडकी ने उसे कहाँ :- कि तुम रिगँ तो वापिस नही ले आ सके..! और मेरे लिये क्या करोगे ???


लडके ने बडे विश्वास से कहा :- कि मै तुमसे True Love करता हूँ ..! और एक दिन तुम भी मुझे प्यार करोगे?? मुझे विश्वास है,


उसने लडके से कहा :- कि अगर तुम कल 5 बजे तक मुझे कही से भी खोज निकालोगे..! तो मै तुमसे शादी कर लुगी और अगर नही खोज पाये तो मुझे भुल जाना होगा,,!


लडके ने शर्त मंजुर कर ली,,,वो लडकी उस लडके के घर, मे जाकर छुप जाती है लडका उसे बाहर खोजता रहता है,..!


लडके के घर मे उसकी माँ बिमार होती है. उसके पापा उसे कहते है कि बेटा तेरी माँ कि तबीयत ज्यादा खराब हो रही है जल्दी से डॉक्टर के पास से दवा लेकर आ जाऔ


लडका सोचता है:- भाड मे जाऐ लडकी अपने को तो माँ के लिए दवा लेकर घर चलना चाहिए लडका दवा लेकर घर आता है वहाँ ऊसे वो लडकी भी मिल जाती है
 
लडका घडी कि तरफ देखताi है 5 बजने मै अभी 20 मिनट बाकि थे

कहते है जो माँ बाप कि सेवा करता है भगवान उसकी हर मुशकिल का हल जरुर करता है....
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यह सेब के पेड़ और एक बच्चे की कहानी दिल छू लेगी एक बार जरूर पढें.....

यह सेब के पेड़ और एक बच्चे की कहानी दिल छू लेगी ये कहानी एक बार जरूर पढें.....

एक बार की बात है एक जंगल में सेब का एक बड़ा पेड़ था| एक बच्चा रोज उस पेड़ पर खेलने आया करता था| वह कभी पेड़ की डाली से लटकता कभी फल तोड़ता कभी उछल कूद करता था, सेब का पेड़ भी उस बच्चे से काफ़ी खुश रहता था| 
कई साल इस तरह बीत गये| अचानक एक दिन बच्चा कहीं चला गया और फिर लौट के नहीं आया, पेड़ ने उसका काफ़ी इंतज़ार किया पर वह नहीं आया| अब तो पेड़ उदास हो गया|

काफ़ी साल बाद वह बच्चा फिर से पेड़ के पास आया पर वह अब कुछ बड़ा हो गया था| पेड़ उसे देखकर काफ़ी खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा| पर बच्चा उदास होते हुए बोला कि अब वह बड़ा हो गया है अब वह उसके साथ नहीं खेल सकता|

बच्चा बोला की अब मुझे खिलोने से खेलना अच्छा लगता है पर मेरे पास खिलोने खरीदने के लिए पैसे नहीं है| पेड़ बोला उदास ना हो तुम मेरे फल तोड़ लो और उन्हें बेच कर खिलोने खरीद लो|

बच्चा खुशी खुशी फल तोड़ के ले गया लेकिन वह फिर बहुत दिनों तक वापस नहीं आया| पेड़ बहुत दुखी हुआ|
अचानक बहुत दिनों बाद बच्चा जो अब जवान हो गया था वापस आया, पेड़ बहुत खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा पर लड़के ने कहा कि वह पेड़ के साथ नहीं खेल सकता अब मुझे कुछ पैसे चाहिए क्यूंकी मुझे अपने बच्चों के लिए घर बनाना है|

पेड़ बोला मेरी शाखाएँ बहुत मजबूत हैं तुम इन्हें काट कर ले जाओ और अपना घर बना लो| अब लड़के ने खुशी खुशी सारी शाखाएँ काट डालीं और लेकर चला गया| वह फिर कभी वापस नहीं आया|

बहुत दिनों बात जब वह वापिस आया तो बूढ़ा हो चुका था पेड़ बोला मेरे साथ खेलो पर वह बोला की अब में बूढ़ा हो गया हूँ अब नहीं खेल सकता|

पेड़ उदास होते हुए बोला की अब मेरे पास ना फल हैं और ना ही लकड़ी अब में तुम्हारी मदद भी नहीं कर सकता|

बूढ़ा बोला की अब उसे कोई सहायता नहीं चाहिए बस एक जगह चाहिए जहाँ वह बाकी जिंदगी आराम से गुजर सके| पेड़ ने उसे अपने जड़ मे पनाह दी और बूढ़ा हमेशा वहीं रहने लगा|

मित्रों इसी पेड़ की तरह हमारे माता पिता भी होते हैं, जब हम छोटे होते हैं तो उनके साथ खेलकर बड़े होते हैं और बड़े होकर उन्हें छोड़ कर चले जाते हैं और तभी वापस आते हैं जब हमें कोई ज़रूरत होती है| धीरे धीरे ऐसे ही जीवन बीत जाता है| हमें पेड़ रूपी माता पिता की सेवा करनी चाहिए नाकी सिर्फ़ उनसे फ़ायदा लेना चाहिए!!
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ऐसा क्यों कहा एक बेटे ने अपने पिता से "पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं" I Motovational Touching Story in Hindi

एक व्यक्ति आफिस में देर रात तक काम करने के  बाद थका-हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका छोटा सा बेटा सोने की बजाय उसका  इंतज़ार कर रहा है .


 अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा , क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ ?” “ हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?” पिता ने कहा .

बेटा - “ पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?”  

“ इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो ?” पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया .

बेटा - “ मैं बस यूँ ही जाननाचाहता हूँ . प्लीज बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते  हैं ?”

पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा , नहीं बताऊंगा , तुम जाकर सो जाओ

“यह सुन बेटा दुखी हो गया …और वह अपने कमरे में चला गया .

व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे ने ऐसा क्यों पूछा ……पर एक - आध घंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ , फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , “ क्या तुम सो रहे हो ?”,

“नहीं ” जवाब आया .

“ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट दिया।
जब पत्नी ने कहा पति से ‘अभी घर जाने का करो इंतजार दरअसल दिन भर के काम से मैं बहुत थक गया था

.” व्यक्ति ने कहा. सारी बेटा “.......मै एक घंटे में १०० रूपया कमा लेता हूँ.......

थैंक यूं पापा ”  बेटे ने ख़ुशी से बोला और तेजी से उठकर अपनी आलमारी की तरफ गया , वहां से उसने अपने गोल्लक  तोड़े और ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा . “ पापा मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैं आपसे आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? प्लीज आप ये पैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी आ जाइये

मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ.”

दोस्तों , इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद  को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए ही  समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा अहमयित रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना  होगा कि इस आपा-धापी भरी जिंदगी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के  लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया...
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24 September, 2016

अब्राहम लिंकन ने अपने उद्घाटन भाषण एक व्यक्ति को क्या कहा था (Story Abraham Lincoln Answer Question of Men in Senate)

राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यालय में पहले दिन पर, जब अब्राहम लिंकन ने अपने उद्घाटन भाषण देने के लिए प्रवेश किया, एक आदमी उठ खड़ा हुआ। वह एक अमीर कुलीन था। उन्होंने कहा, "श्री लिंकन, आपने यह नहीं भूलना चाहिए कि आपके पिता मेरे परिवार के लिए जूते बनाने का काम करते थे "और पूरा सीनेट हँसने लगा । उन्हें लगा कि उसने लिंकन को मूर्ख बनाया था। 
लेकिन कुछ लोग पूरी तरह से अलग क्षमता के बने होते हैं। लिंकन ने आंखों में सीधे आदमी को देखा और कहा, "सर, मुझे पता है कि मेरे पिता आपके परिवार के लिए जूते बनाने का काम करते है, और यहाँ कई अन्य लोगों के लिये भी करते होंगे । क्योंकि वह जूते बनाते है जो कोई और नहीं बना सकता हैं क्योंकि वह एक निर्माता है । उनके जूते सिर्फ जूते नहीं है ; वह उनमें अपन पूरी आत्मा डाल देते है । मैं आप से पूछना चाहते हैं, तो आप को किसी भी प्रकार की शिकायत है? और मुझे पता है कि कैसे बनाते है जूते । यदि आपको कोई शिकायत है, तो मैं आपके लिये जूते की एक और जोड़ी बना सकता हूँ । लेकिन जहां तक मुझे पता है, कोई भी, कभी भी मेरे पिता के जूते के बारे में शिकायत नहीं की है। वह एक प्रतिभाशाली, एक महान निर्माता हैं और मुझे अपने पिता "पर गर्व है।

पूरे सीनेट में खामोशी छा गई थी। वे समझ नहीं पा रहे थे अब्राहम लिंकन किस तरह का आदमी है । क्योंकि उसके पिता इतना अच्छा काम करते है कि एक भी शिकायत कभी किसी ने नहीं की थी और सुनाई दी थी वह गर्व था।

याद रखें : "कोई भी आपको आपकी सहमति के बिना चोट नहीं कर सकता है"

"हमें इस पर दर्द नहीं होता कि क्या कहा गया है बल्कि हमारी प्रतिक्रिया हमें दर्द देती है कि काया प्रतिक्रिया दी है। हमें अपने काम पर उत्कृष्ट होना चाहिए।
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(क्योंकि जीवन फिर बदलने जा रहा है !!!) Story tell you how to change your life with Passwords

एक नए पासवर्ड के साथ जाब पर आना कोई बड़ी बात नहीं है है, जब तक आप मेरी कंपनी में काम नहीं करते , जहां हम पासवर्ड को मासिक बदलना पड़ता है पर काम करते हैं, कम से कम एक अपरकेस अंक , एक लोअरकेस अंक , एक प्रतीक(सिंबल) और एक नंबर का उपयोग कर।

ओह और पासवर्ड कम से कम आठ अंक से कम नहीं हो सकता।

और हां एक पासवर्ड जो पिछले तीन महीनों में प्रयोग किया जाता है उसे भी आप उपयोग नहीं कर सकते।

अचानक मुझे गुस्सा आ गया था, क्योंकि मैं अपने हाल ही में हुये तलाक के बाद गहरा उदास था।

उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ये में सारा दिन सोचता रहा ।

यही कारण है कि pulsating कर्सर पासवर्ड टाइप करने के लिए इंतज़ार कर रही थी - अगले 30 दिनों के लिए।

मैंने अपने पुराने बॉस से एक टिप के बारे में सुना था वो याद आ गया। उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं "मैं एक ऐसा पासवर्ड लगाने जा रहा हूँ जो कि मेरे जीवन को बदलने जा रहा है "

मैं अपने मौजूदा मूड में काम करने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सका।

स्पष्ट संकेत है कि मुझे अपने जीवन पर दोबारा नियंत्रण पाना जरूरी था, लेकिन मैं उस पर ध्यान नहीं दे रहा था।

मेरा पासवर्ड मेरा मार्गदर्शक बन गया। मेरे पासवर्ड ने मुझे याद दिलाया कि मुझे खुद को अपनी हालत का जिमेदार नहीं मानना है और कहा कि मैं काफी मजबूत हूँ  इसके बारे में कुछ करना होगा
मैंने अपना पासवर्ड बनाया  - Forgive@her,

मुझे इस पासवर्ड को हर दिन कई बार ,हर बार अपने कंप्यूटर में टाइप करना पड़ता था जब भी कंप्यूटर को ताला लग जाता था।

अक्सर दोपहर के खाने के बाद कंप्यूटर में टाइप करता Forgive@her,

रोजाना ये पासवर्ड टाइप करने से मेरा नजरिया मेरी पहली पत्नी के लिये बदलने लगा

रोजाना पासवर्ड के द्वारा स्मरण करने पर मेरा आतम्विश्वास वापिस आने लगा और में जिंदगी से निराश नहीं रहने लगा ।

एक महीने धीमी गति से उपचार शुरू किया और बदलाब को महसूस किया।

कि उसी समय सर्वर ने मुझे सन्देश दिया कि अपना पासवर्ड अगले महीने बदलने के लिए तैय्रार रहें , मैने खुद को सव्तंत्र महसूस किया।

अगली बार पासवर्ड बदलने बदलने का समय आया तो मैने इसके बारे में सोचा।

और अपना पासवर्ड रखा - Quit@smoking4ever .

इस पास्वोर्ड ने मुझे प्रेरित कि मेरा लक्ष्य क्या है और मुझे धूम्रपान छोड़ने है ।

एक महीने बाद, मेरा पासवर्ड बन गया - Save4trip@thailand,

और तीन महीने में मैं थाईलैंड की यात्रा करने में सक्षम हो गया था।

Reminders कैसे मुझे अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करता है ये देख में प्रेरित और उत्साहित हो गया

जबकि कभी कभी ये मुश्किल आ जाती कि अगला लक्ष्य क्या होगा और उसका  बहुत अच्छा परिणाम लाना है।

कुछ महीनों के बाद मैने अपना पासवर्ड रखा : Save4@ring !!!

क्योंकि जीवन फिर बदलने जा रहा है !!!
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23 September, 2016

लेकिन, मैं बहुत से अधिक पुलों का निर्माण किया है ( Building Bridges Hindi Motivational Story)

एक बार की बात दो भाइयों ने आसपास के खेतों में रहते थे संघर्ष में गिर गई। यह पक्ष द्वारा खेती की ओर से 40 साल में पहली गंभीर दरार, मशीनरी साझा करने, और व्यापार श्रम और माल के रूप में एक पकड़ के बिना जरूरत थी।

फिर लंबे समय तक सहयोग के अलावा गिर गया। यह एक छोटी सी गलतफहमी के साथ शुरू हुआ और यह एक बड़ा अंतर में वृद्धि हुई है, और अंत में यह चुप्पी के सप्ताह के बाद कड़वा शब्द के आदान-प्रदान में विस्फोट हो गया।

एक सुबह वहां जॉन के दरवाजे पर दस्तक था। वह एक बढ़ई के पिटारे के साथ एक आदमी को खोजने के लिए खोला गया। "मैं कुछ दिनों के काम के लिए देख रहा हूँ," उन्होंने कहा।

"शायद आप कुछ छोटे नौकरियों यहाँ और वहाँ होगा। मैं आपकी मदद कर सकते हैं?"

"हाँ," बड़े भाई ने कहा। "मैं वास्तव में, यह मेरा छोटा भाई है आप के लिए एक नौकरी की क्या ज़रूरत है। यह है कि खेत में क्रीक भर में देखो। यही कारण है कि मेरे पड़ोसी है। पिछले हफ्ते वहाँ हम दोनों के बीच एक घास का मैदान था और वह नदी सेतु को अपने बुलडोजर ले लिया है और अब वहाँ है । एक क्रीक हम दोनों के बीच ठीक है, वह यह मेरे बावजूद किया हो सकता है, लेकिन मैं उसे एक बेहतर जाऊँगा खलिहान से लकड़ी के इलाज के ढेर देखो मैं क्या आप मुझे एक बाड़ का निर्माण करना चाहते हैं -।? एक 8 फुट बाड़ - इसलिए मैं अब उसकी जगह देखने की जरूरत नहीं होगी। उसे शांत हो जाओ, किसी भी तरह। "



बढ़ई ने कहा, "मुझे लगता है कि मैं इस स्थिति को समझते हैं। मेरे नाखून और बाद के छेद खोदने दिखाने के लिए और मैं एक काम है कि आप चाहे ऐसा करने में सक्षम हो जाएगा।"

बड़े भाई की आपूर्ति के लिए शहर में जाने के लिए किया था, तो वह बढ़ई सामग्री तैयार हो जाओ में मदद मिली और फिर वह दिन के लिए बंद किया गया था।

बढ़ई कठिन है कि सभी दिन मापने काम किया है, काटने का कार्य, श्रेष्ठ।

सूर्यास्त जब किसान लौटे बारे में, बढ़ई सिर्फ अपने काम समाप्त हो गया था। किसान की आँखें खोली, अपने जबड़े गिरा दिया।

इसमें कोई बाड़ वहाँ सब पर था। यह एक पुल था ... एक पुल दूसरे से क्रीक के एक तरफ से खींच! काम handrails और सभी का एक अच्छा टुकड़ा है - और पड़ोसी, उनके छोटे भाई, भर में आ रहा था, उसके हाथ फैलाया हुआ।

"आप काफी इस पुल सब के बाद मैंने कहा और किया है का निर्माण करने के लिए अपने साथी रहे हैं।"

दो भाइयों के पुल के दोनों छोर पर खड़ा था, और उसके बाद वे बीच में मिले थे, एक दूसरे के हाथ ले रही है। वे बढ़ई उसके कंधे पर अपने उपकरण बॉक्स फहराने देखने के लिए बदल गया। "नहीं, रुको! कुछ ही दिनों रहो। मैं तुम्हारे लिए अन्य परियोजनाओं के एक बहुत है," बड़े भाई ने कहा।

"मैं पर रहने के लिए प्यार करता हूँ," बढ़ई कहा, "लेकिन, मैं बहुत से अधिक पुलों का निर्माण किया है।" ताली
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❊❊ आज का सुविचार ❊❊