नाना ने मुंबई के जे।जे स्कूल आफ आट्र्स से पढ़ाई की । इस दौरान वह कॉलेज द्वारा आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया करते थे। नाना को स्केचेस बनाने का शौक था। उस दौरान वो ममुंबई पुलिस के लिए स्केचेस बनाने का काम किया करते थे।
खुद के काले रंग से चिढ़ते थे
बचपन में नाना को अपने काले रंग की वजह से काफ़ी चिढ़ा करते थे। नाना को लगता था की उनके पिता उनके अलावा उनके दुसरे दो भाइयों को चाहते हैं। बचपन में काले रंग की वजह से एक 4 साल की लड़की ने नाना से शादी करने से इनकार किया था और उनके बड़े भाई को शादी के लिए चुना था।
पारिवारिक जीवन
नाना की शादी नीलाकांती पाटेकर से हुई लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया। उनका एक लड़का भी है जिसका नाम मल्हार है। यह भी पढ़ें: अनिल कपूर हुए 59 साल के, जानिए एवरग्रीन अनिल कपूर के ज़िन्दगी की अनसुनी बातें
स्मिता पाटिल के ज़रिए हुई फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री
नान पाटेकर को शुरू से ही अभिनय का शौक था। अपने पढाई के दौरान नाना नाटको में एक्टिंग किया करते थे इसी दौरान एक्ट्रेस स्मिता पाटील ने अभिनय करते हुए देखा था और उसके बाद नाना के बारे में निर्माताओं से बात भी की थी।
फिल्मों में शुरूआती संघर्ष
वैसे तो नाना की बॉलीवुड में एंट्री हुई थी 1978 मे प्रदर्शित फिल्म ‘गमन’ के ज़रिए। लेकिन इस फिल्म में दर्शकों ने उन्हें नोटिस नहीं किया। बॉलीवुड में अपने जगह बनाने के लिए नाना को करीब आठ साल का संघर्ष करना पड़ा। गमन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वह स्वीकार करते चले गये । इस बीच उन्होंने गिद्ध ,भालू और शीला जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बाक्स आफिस पर सफल नहीं हुयी।
‘परिंदा’ फिल्म से मिली पहचान
नाना पाटेकर को निर्देशक एन। चंद्रा की फिल्म में बड़ा ब्रेक मिला 1986 में फिल्म अंकुश के ज़रिए। समाज से नाराज़ एक बेरोजगार युवक का किरदार नाना पाटेकर ने कुछ इस तरह निभाया की वो यादगार बन गया। यह
1989 में प्रदर्शित फिल्म परिन्दा नाना के सिने कैरियर की हिट फिल्मों में शुमार की जाती है 1विधु विनोद चोपड़ा निर्मित इस फिल्म में उन्होंने मानसिक रूप से विक्षिप्त लेकिन अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह की भूमिका निभाई। इस भूमिका ने नाना को फिल्म इंडस्ट्री में एक नई पहचान दिलाई।
इसके बाद नाना ने 1991 में ने फिल्म निर्देशन में भी कदम रख दिया और प्रहार का निर्देशन और अभिनय भी किया।इस फिल्म की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को ग्लैमर विहीन किरदार देकर दर्शकों के सामने उनकी अभिनय क्षमता का नया रूप रखा ।
वेलकम फिल्म के ज़रिए बदली छवि
बदलते दौर में नाना ने वर्ष 2007 में प्रदर्शित फिल्म वेलकम में नाना के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म से पहले उनके बारे में कहा जाता था कि वह केवल संजीदा अभिनय करने में ही सक्षम है लेकिन नाना ने जबरस्त हास्य अभिनय कर दर्शको को मंत्रमुग्ध कर अपने आलोचको का मुंह सदा के लिये बंद कर दिया और फिल्म को सुपरहिट बना दिया। नाना ने कई नामचीन मराठी फिल्मो में भी काम किया जिसे उनके फैन्स ने खूब सराहा।
चुनिन्दा फ़िल्में करना ही पसंद किया
नाना उन गिने चुने अभिनेताओं में हैं, जो फिल्म की संख्या के बजाय उसकी गुणवत्ता को अधिक महत्व देते है। इसी को देखते हुये नाना ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में महज 60 फिल्मों में काम किया है। नाना अभिनीत कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में हैं-आवाम,अंधा युद्ध, सलाम बॉम्बे, थोड़ा सा रूमानी हो जाये,राजू बन गया जेंटलमैन,अंगार, हम दोनों, अग्निसाक्षी,गुलामे मुस्तफा,यशंवत, युगपुरुष ,क्रांतिवीर, वजूद, हूतूतू ,गैंग, तरकीब, शक्ति, अब तक छप्पन, अपहरण, ब्लफ मास्टर , टैक्सी नंबर नौ दो ग्यारह, हैट्रिक, वेलकम, राजनीति, द अटैक ऑफ 26/11 जैसी फ़िल्में शामिल हैं।
पुरस्कार
अपने बेहतरीन अदाकारी के बदौलत नाना ने कई पुरस्कार जीते जिनमे 1990 में परिंदा फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेअर पुरस्कार जीता। 1995 में फिल्म क्रांतिवीर के लिए फिल्मफेअर ने नाना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ख़िताब दिया। 2006 में भी नान ने सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेअर पुरस्कार जीता। नाना को 2013 में पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया।
नाना पाटेकर ने नायक,सहनायक,खलनायक और चरित्र भूमिकाओं से फैन्स का दिल जीत लिया । नाना पाटेकर के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिये सदा उपयुक्त रहते हैं।
खुद के काले रंग से चिढ़ते थे
बचपन में नाना को अपने काले रंग की वजह से काफ़ी चिढ़ा करते थे। नाना को लगता था की उनके पिता उनके अलावा उनके दुसरे दो भाइयों को चाहते हैं। बचपन में काले रंग की वजह से एक 4 साल की लड़की ने नाना से शादी करने से इनकार किया था और उनके बड़े भाई को शादी के लिए चुना था।
पारिवारिक जीवन
नाना की शादी नीलाकांती पाटेकर से हुई लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया। उनका एक लड़का भी है जिसका नाम मल्हार है। यह भी पढ़ें: अनिल कपूर हुए 59 साल के, जानिए एवरग्रीन अनिल कपूर के ज़िन्दगी की अनसुनी बातें
स्मिता पाटिल के ज़रिए हुई फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री
नान पाटेकर को शुरू से ही अभिनय का शौक था। अपने पढाई के दौरान नाना नाटको में एक्टिंग किया करते थे इसी दौरान एक्ट्रेस स्मिता पाटील ने अभिनय करते हुए देखा था और उसके बाद नाना के बारे में निर्माताओं से बात भी की थी।
फिल्मों में शुरूआती संघर्ष
वैसे तो नाना की बॉलीवुड में एंट्री हुई थी 1978 मे प्रदर्शित फिल्म ‘गमन’ के ज़रिए। लेकिन इस फिल्म में दर्शकों ने उन्हें नोटिस नहीं किया। बॉलीवुड में अपने जगह बनाने के लिए नाना को करीब आठ साल का संघर्ष करना पड़ा। गमन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वह स्वीकार करते चले गये । इस बीच उन्होंने गिद्ध ,भालू और शीला जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बाक्स आफिस पर सफल नहीं हुयी।
‘परिंदा’ फिल्म से मिली पहचान
नाना पाटेकर को निर्देशक एन। चंद्रा की फिल्म में बड़ा ब्रेक मिला 1986 में फिल्म अंकुश के ज़रिए। समाज से नाराज़ एक बेरोजगार युवक का किरदार नाना पाटेकर ने कुछ इस तरह निभाया की वो यादगार बन गया। यह
1989 में प्रदर्शित फिल्म परिन्दा नाना के सिने कैरियर की हिट फिल्मों में शुमार की जाती है 1विधु विनोद चोपड़ा निर्मित इस फिल्म में उन्होंने मानसिक रूप से विक्षिप्त लेकिन अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह की भूमिका निभाई। इस भूमिका ने नाना को फिल्म इंडस्ट्री में एक नई पहचान दिलाई।
इसके बाद नाना ने 1991 में ने फिल्म निर्देशन में भी कदम रख दिया और प्रहार का निर्देशन और अभिनय भी किया।इस फिल्म की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को ग्लैमर विहीन किरदार देकर दर्शकों के सामने उनकी अभिनय क्षमता का नया रूप रखा ।
वेलकम फिल्म के ज़रिए बदली छवि
बदलते दौर में नाना ने वर्ष 2007 में प्रदर्शित फिल्म वेलकम में नाना के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म से पहले उनके बारे में कहा जाता था कि वह केवल संजीदा अभिनय करने में ही सक्षम है लेकिन नाना ने जबरस्त हास्य अभिनय कर दर्शको को मंत्रमुग्ध कर अपने आलोचको का मुंह सदा के लिये बंद कर दिया और फिल्म को सुपरहिट बना दिया। नाना ने कई नामचीन मराठी फिल्मो में भी काम किया जिसे उनके फैन्स ने खूब सराहा।
चुनिन्दा फ़िल्में करना ही पसंद किया
नाना उन गिने चुने अभिनेताओं में हैं, जो फिल्म की संख्या के बजाय उसकी गुणवत्ता को अधिक महत्व देते है। इसी को देखते हुये नाना ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में महज 60 फिल्मों में काम किया है। नाना अभिनीत कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में हैं-आवाम,अंधा युद्ध, सलाम बॉम्बे, थोड़ा सा रूमानी हो जाये,राजू बन गया जेंटलमैन,अंगार, हम दोनों, अग्निसाक्षी,गुलामे मुस्तफा,यशंवत, युगपुरुष ,क्रांतिवीर, वजूद, हूतूतू ,गैंग, तरकीब, शक्ति, अब तक छप्पन, अपहरण, ब्लफ मास्टर , टैक्सी नंबर नौ दो ग्यारह, हैट्रिक, वेलकम, राजनीति, द अटैक ऑफ 26/11 जैसी फ़िल्में शामिल हैं।
पुरस्कार
अपने बेहतरीन अदाकारी के बदौलत नाना ने कई पुरस्कार जीते जिनमे 1990 में परिंदा फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेअर पुरस्कार जीता। 1995 में फिल्म क्रांतिवीर के लिए फिल्मफेअर ने नाना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ख़िताब दिया। 2006 में भी नान ने सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेअर पुरस्कार जीता। नाना को 2013 में पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया।
नाना पाटेकर ने नायक,सहनायक,खलनायक और चरित्र भूमिकाओं से फैन्स का दिल जीत लिया । नाना पाटेकर के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिये सदा उपयुक्त रहते हैं।
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